Thursday 25 April 2013

दहाड़ता हुआ सा 2

आज का दिन बड़ा ही खास है, क्यूंकि आज किसी खास का जन्मदिन है. मेरी तरफ से उसे बहुत सारी सुभकामनाये. और मैं चाहूँगा के आप सब भी उसके लिए दुआ करें. वो हमेशा हँसता  और मुस्कुराता रहे. चंद शेर उसके नाम समर्पित करता हूँ मैं आज फिर. यूँ तो मेरे सारे शब्द ही उसकी अमानत हैं. पर कभी कभी गुस्ताखी करने का दिल कर जाता है.



सुबह के नज़ारे से तुम्हें मांगते हैं,
शाम के धुंधलके से तुम्हें मांगते हैं,
चाँद की तपिश भी ठंडी पर जाती जब,
इसके उजालों से तुम्हें मांगते हैं//

चाँद को गुरूर अपनी चांदनी पे है,
मुझको यकीं तेरी रौशनी पे है,
बादलों में छुप गया न जाने वो कहाँ,
यूँ जाला वो चाँद तेरी रौशनी से है//

कुछ यूँ समेत लेती हो लहराती जुल्फों को,
सारे बिखरे बादल जैसे छुप से जाते हैं तेरी गेशुओं में//

तुझे ये मलाल के हम तुझे याद नहीं करते,
हमें ये सुकून के हम तो जीते तुम्हें देखकर हैं//

तुम पूछती हो मुझसे मेरी पहचान क्या हैं,
और मैं खुद को तेरी नज़रों में ढूंढता हू आज भी//

निकली हो पल्लव सी, कलियों सी खिलती हो,
इठलाती, बलखाती, इतराती, और महकाती//

चंद फूलों से क्या तेरा श्रींगार करूं मैं,
तू तो खुद गुलाब सी कोमल और सुन्दर हो//

के आज मेरा दिन है, तुझसे भी ज्यादा,
के आज मैं तुझे जी भर के निहारूंगा//
(Dedicated to the birthday girl)
kundan vidyarthy.

No comments:

Post a Comment