Saturday 8 August 2015

Broken By You



Standing in the street,
Where no one can be seen,
Under the hot sun,
Trying to find the pieces of my heart,
I don’t know where it fell,
When you left it,
And turned away,
Without even seeing the fate of the broken heart.

Heart,
 Which was not mine,
From the time,
I have started understanding love,
I happily got robbed,
When I first saw your beautiful soul,
And from that moment,
I just haven’t seen myself.

I have seen you,
In every mirror,
And in everything,
Which came across my eyes.
Like my eyes is blind enough,
To see anything beyond you,
Like no one else exist in this beautiful world,
Which is so because of your smile.

But now,
As you are gone,
Leaving me alone in this cruel world,
I want my heart back.
What if it is broken,
What if it doesn’t belongs to me,
I want to treasure it forever,
As it’s lucky enough to be with you unlike me.

I want to hear,
The stories of the time when you were together,
And the details of your face,
When you sleep every night.
I want to feel,
The beats of your heart through mine,
And to see you,
In the every pieces of my broken heart.


Kundan vidyarthy

Friday 7 August 2015

मन की बातें 5

वो डूबता,
सा सूरज,
तनहा ही डूबता है ।
फिर भी,
सुबह निकलकर,
रौशन जहाँ करेगा ।। कुंदन ।।


रह रहके,
टीस उठती है,
रह रहके,
दिल तरपता है ।
जब याद,
तेरी आती है,
पलकों से,
लहू बहता है ।। कुंदन ।।


हर शौक,
हर तमन्ना,
तेरी आँखों से,
शुरू होती है ।
तेरी पलकों पे हो,
सुबह मेरी,
तेरी पलकों पे शाम होती है ।। कुंदन ।।


जीवन में,
सिर्फ मैंने,
काले अँधेरे,
देखे हैं ।
अब खौफ का,
ये आलम है,
इस रौशनी से,
डरता हूँ ।। कुंदन ।।


सोचना,
सोचकर फिर,
बताना मुझे ।
मेरे,
पलकों के आसूँ,
समझ पाओगे ??
कह रहे हो,
के मुझको ,
संभालोगे तुम ।
अपने क़दमों ,
से पर क्या ,
संभल पाओगे ??


हवा में बिखरना,
उलझ कर सुलझना ।
तेरी उँगल में,
फसना निकलना ।।
बहुत खूब आता है,
तेरी इन लटों को ।
दिलों पे बिजुल सी,
बनकर बरसना ।। कुंदन ।।



मन की बातें ४

चलो उड़ चलें,
एक परिंदे सा,
नीले आसमां पे,
बेख़ौफ़ होकर,
बादलों से भी ऊपर,
और ऊपर ।
जहां ,
ना सरहदें हैं,
न पाबंदियां,
बस जो है,
वो अपना सा है,
अपना एक पूरा आसमां ।। कुंदन ।।


गर ये खता है,
तो हां,
मैंने कर ली मोहब्बत ।
कर दिया किसी के नाम,
अपना दिल,
अपनी जान और अपनी साँसे ।।
अब तो बस,
मैं इंतज़ार में हूँ,
उनके आने का ।
के वो आए,
मुझे अपनाएँ,
या फिर मुझे सजा दे जुदाई का ।। कुंदन विद्यार्थी ।।


यूं न रूठो ,
इन हवाओ से,
और अपनी मुस्कराहट से ।
मेरी आँखों में देखो,
के मैं,
तेरा खतावार हूँ ।।
चाहे टूट कर,
चाह लो या,
तोड़ जाओ दिल को मेरे ।
के मैं,
तेरा,
तेरे सजा का हकदार हूँ ।। कुंदन विद्यार्थी ।।


तेरा अक्स,
दिल में,
यूँ सजा हुआ है,
के जैसे,
एक मंदिर में,
प्रेम की प्रतिमूर्ति ।
और मैं,
एक पुजारी सा,
तेरे दर पे,
हर सांस में,
तेरा ही नाम,
लिए जा रहा हूँ ।। कुंदन ।।


टूटकर,
इश्क में,
दिल ने चाहा तुझे ।
तुम मगर,
तोड़कर,
फिर इसे चल पड़े ।।
रास्तों से खफा,
इस कदर,
तुम हुए ।
अपने वादों,
से मुंह,
मोड़कर चल दिए ।। कुंदन ।।


मन की बातें 3

सब्र का बाँध,
टूटता सा चला जाता है,
तुझे देखकर ।
और मेरा मन,
तेरी आँखों के नीले समंदर में,
डूब जाने को मचल उठता है ।
कुछ इस कदर,
ये डूब सा,
जाना चाहता है,
के फिर,
जीना भी तेरी आँखों में,
मरना भी तेरी आँखों में ।। कुंदन ।।

अच्छा लगता है

अच्छा लगता है,
जब तुम,
मेरे सामने होती हो ।
और निगाहें उठाकर,
कभी मुझे तो कभी,
झुकी पलकों से जमीं को निहारती हो ।।
अच्छा लगता है,
तुम्हारा मुस्कुराना,
और तुम्हारा खिलखिलाना ।
हवा के थपेड़ो से,
तेरे गेसुओं का,
घटाओं की तरह लहराना ।।
अच्छा लगता है,
जब मेरे क़दमों से,
कदम मिलाकर साथ चलती हो ।
और अनजाने ही,
अपनी उंगलियों के कोने से,
मेरी हथेलियाँ छेड़ जाती हो ।।
अच्छा लगता है,
तुम्हारा मुझे,
मेरी गलतियों पे डांटना ।
के दिल करता है,
के हर बार,
गलतियां करता रहूँ ।।
तेरा मुझे सताना,
और फिर,
मुझे मनाना ।
परदे के कोने से,
हल्का सा,
इशारा कर जाना ।।
चुपके से खाबों में आना,
और फिर,
मेरी नींदों को हौले से चुराना ।
फिर प्यारी सी,
थपकियो से,
मुझे सुलाना अच्छा लगता है ।।
ये वादियाँ,
ये नज़ारे,
और ये ख़ामोशी भी ।
तुम हो तो,
सबकुछ,
अच्छा लगता है ।।
कुंदन विद्यार्थी

मन की बातें 2

थाम कर,
मेरा हाथ,
चलो उस जहाँ में,
जहां सिर्फ तुम होगी,
और मैं होऊंगा,
और हमारा प्यार होगा,
दरम्यां हमारे ।
जहां तुम कहोगी,
और मैं सुनूंगा,
और मेरी नज़रों में,
सिर्फ और सिर्फ,
तुम्हारा अक्स होगा ।
आओ चलो,
बादलों पे सवार होकर,
चलो बादलों की दुनियाँ में,
जहां बादलों का,
घर बनाकर,
बादलों से ही खेला करेंगे ।। कुंदन

मन की बातें - 1

तू शौक से कह देना,
के तुझे मुझसे मोहब्बत नहीं है,
पर उस से पहले दुआ कर ले,
के मैं बहरा हो जाऊं ।
के मैं अंधा हो जाऊं,
और तू हाथ थाम लेना,
किसी और का,
मेरे सामने ही ।।
तू चाहती अगर है,
के मुझे बुरा ना लगे,
के मैं तुझसे फिर कभी,
अपने प्यार का इजहार न करू ।
तो ए मेरे खुदा,
उठा हाथ,
और कह दे उस खुदा से,
के वो मेरी सांसे आखिरी कर दे ।। कुंदन ।।

The poetry of God

When I see you,
I see some words,
Beautifully carved,
Floating in the air.
Like the poetry of God,
Which the world wants to hear,
Like a very old song,
Still melodious and refreshing.

I see and I try,
To touch it with my fingers,
To feel you,
To sing you.
But Ah!
My hands are shrinking,
Suddenly I am going deaf,
or, it has stopped blowing suddenly?

                                            Kundan Vidyarthy