Wednesday 25 May 2016

तन्हाई मेरे साथी

तन्हाइयों से क्या शिकवा करें, जख्म तो हैं मिले महफ़िलो से हमें । रास आये न हम मंजिलो को कभी, रास्तो से मोहब्बत मिली है हमें ।।

तुमको पाने की थी होड़ ऐसी लगी, जैसे सांसो से था वास्ता कुछ तेरा । मुड़ के देखा जो तब ये समझ आया की तुमको पाये न हम खुद को खोते गये ।।

राहतों का समंदर लगा जो कभी, उसकी चाहत में नदियों को छोड़ आये हम । पलकें भीगी रही दिल तड़पता रहा, प्यास भी न बुझी डूबते भी गए ।।

सोहबतों ने मेरी खूब टोका हमें, जा ठहर, सोच, मुड़, लौट आ अब भी तू । हम न सुन ही सके न समझ पाए हम, ना ही तेरे बने न ही घर के रहे ।।

अब तो मंज़र है ये खुद से भी दूर हूँ, खुद को भी इस तरह न मैं मंजूर हु । वक्त ऐसा है बस तन्हाइयां संग है, सारे सपने भी हमसे हैं रूठे हुए ।।
    कुंदन विद्यार्थी

प्रॉब्लम

प्रॉब्लम क्या है ? और क्यों है इन जमाने के ठेकेदारों को । समझ नहीं आया आज तक । अरे भई तुम क्यों दूसरे के फट्टे में टांग अड़ा रहे हो । अजीब बात है, नहीं ? बात से ज्यादा तो उनके सवाल अजीब होते हैं । और आदतें तो कहने ही क्या ।
'दीवारों के भी कान होते हैं' वाली कहावत शायद ऐसे ही लोगों को ध्यान में रखकर बनायीं हुई है । क्योंकि इनके पास कई कान होते हैं और जहाँ मिला वो अपना एक कान दीवार से चिपका देते हैं । और तो और, इनके पास हवा से बात करने की भी प्रतिभा होती है । घटना हुई पटना में और भाई साब को ये हवाएँ सबसे पहले कानो में जाके गुनगुना देती हैं । इतना ही नहीं, इसके बाद यर भाई साब उनलोगो को भी घटनक्रम का हाल यूँ सुनाएंगे जिनके पास ये अमूल्य प्रतिभा नहीं है । और ऐसे सुनाएंगे जैसे घटनास्थल पर सबसे आगे वाली पंक्ति में खड़े थे ।
बड़े दुबले हो गए हो? क्या कहते हो, बहुत मोठे हो गए हो, जिम विम जाया करो । काम क्या करते हो ? कितना कमा लेते हो ? नहीं नहीं, इस से क्या होता है आजकल, कोई और नौकरी ढूंढ लो यार । इतने दिनों से यहॉ हो, नौकरी छोड़ दी क्या ? तरह तरह के सवाल तो यूँ करेंगे जैसे की आपकी और आपके विवाह की सबसे चिंता इन्हें ही है । लेकिन जब आप सच में किसी प्रॉब्लम में हो तब तो इन्हे आपका नाम तक याद रखना गवारा नहीं होता ।
आपका पता नहीं, किन्तु मुझे ऐसे लोग गाहे बगाहे ही मिल जाते हैं और खूब मिलते हैं । बाकि सब बातें तो चुपचाप बर्दास्त कर लेता हु लेकिन उनका एक सवाल और मेरा दिमाग भिन्ना जाता है के भई करते क्या हो । क्यों भई आप हमे अपना दामाद बनाओगे क्या ? गलती से एक बार मेरे मुह से निकल गया, मैं लिखता हु और उनका जवाब प्रत्याशित था किन्तु फिर भी मुझे बड़ा गुस्सा आया । 'वो तो ठीक है लेकिन एयर क्या करते हो' और तेरे जैसे नर्देश्वरों के सवालो के जवाब देता फिरता हु और क्या, कोई काम थोड़े न है हमे । हम भी नल्ले तुम भी नल्ले , यूँही सवाल जवाब करते रहेंगे और क्या । आखिर मुझे उनको याद दिलाना पड़ता है के वो किसी काम से जा रहे थे ।
आखिर मैं परेशान होकर जब इस पर विचार करने बैठ तो पता चला के इनकी प्रॉब्लम कुछ नहीं है । इनकी सबसे बड़ी प्रॉब्लम ही यही है के इनकी कोई प्रॉब्लम नहीं है और इस वजह से ये हर चीज में प्रॉब्लम निकालकर अपने इस प्रॉब्लम का सोलुशन निकालने में लगे रहते हैं ।
खैर, मुझे इनसे कोई शिकायत विकायत तो है नहीं । ये हमारा टैलेंट है और वो उनका । और हर तरह के टैलेंटेड आदमी का क़द्र करना हम बाखूबी जानते है ।