Thursday 29 December 2016

कविता का मोल

कविता,
बस कुछ शब्द नहीं हैं ये,
न ही कुछ वाक्यों का मेल ,
जो कोरे कागज पर स्याह से नजर आते हों ।
कविताओं के,
उन शब्दों से,
इंकलाब भी आया  है ,
और शांति का प्रसार भी हुआ है ।
कविता में लिखे,
बोलों के गुनगुनाने पर,
प्रेम के फूलों की बरसात भी हुई है,
नीरस जीवन में रस की फुहार बनकर ।
कविता ने हमें सन्देश भी दिया है,
मानव बनकर रहने का,
मानव से मिलकर रहने का,
और अपने स्वाभिमान से समझौता ना करने का ।
कविता ,
कवि के मन में कभी अंगार बन कर,
कभी शीतल सी फुहार बनकर आती है,
और सबको जीवन का मोल बताती है ।
कविता,
शायद एक प्रकृति है,
जो जाने कब कौन सा रूप धर ले,
किसी को नहीं पता ।। कुंदन ।।

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