सब्र का बाँध,
टूटता सा चला जाता है,
तुझे देखकर ।
और मेरा मन,
तेरी आँखों के नीले समंदर में,
डूब जाने को मचल उठता है ।
कुछ इस कदर,
ये डूब सा,
जाना चाहता है,
के फिर,
जीना भी तेरी आँखों में,
मरना भी तेरी आँखों में ।। कुंदन ।।
टूटता सा चला जाता है,
तुझे देखकर ।
और मेरा मन,
तेरी आँखों के नीले समंदर में,
डूब जाने को मचल उठता है ।
कुछ इस कदर,
ये डूब सा,
जाना चाहता है,
के फिर,
जीना भी तेरी आँखों में,
मरना भी तेरी आँखों में ।। कुंदन ।।
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