मुस्कुराती हुई हो सुबह तेरी,
मुस्कुराते ही हर शाम गुज़रे,
चाँद कर दे जहाँ तेरा रौशन,
रात तारों भरी तेरी गुज़रे,
फूल ही फूल तेरी नज़र
में हो,
ना चुभे तुमको कांटे
कभी भी,
भर दे खुशियों से रब
तेरा दामन,
है दुआ मेरी हर सांस
गुज़रे,
भूलना ना हमें है गुजारिश मेरी,
भूल जाऊं तुम्हें हो ये सकता नहीं,
दूर हों गर कहीं हम किसी मोड पर,
अपनी यादों में हर याद गुज़रे,
ना तेरी ना मेरी ये
हमारी रहे,
देख के ये
जहाँ हमको जलता रहे,
राह कर देंगे आसान
हम तेरी,
मंजिलों पे तेरी शाम
गुज़रे,
दोस्ती ये हमारी आज की है नहीं,
ये रहेगी मेरी सांस जब तक चले,
अपनी बातों में हर बात गुज़रे,
बस यूँही अपनी हर शाम गुज़रे.
Friday, 28 September 2012
Muskuraati subah
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Poem
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